Jun 062016
 

प्रिय मित्रों,

आप सब लोगों ने बड़ी कृपा करके जीवन विधा 21 वां राष्ट्रीय सम्मेलन सरदारशहर मे करने की इजाजत नवंबर 12-15, 2016 को दि है। पिछले कुछ वर्षों से सम्मलेन रूप रेखा एक समिति द्वारा तय किया जा रहा है, जो प्रति वर्ष बदलता है | समिति गठन की नीति/विधी /प्रक्रिया भी पिछले कुछ सम्मेलनों में प्राप्त सुझावों के आधार पर किया गया है | यह प्रक्रिया/कानून सलंग्न है | इस वर्ष के लिए प्रस्तावित सदस्य निम्नानुसार है:

  1. इंदौर से अजय दायमा
  2. अमरकंटक से सुशिल सिंह
  3. रायपुर से अनीता शाह
  4. अमरोहा से अरुण सिद्दु
  5. बुलढाना से आशुतोष देशपांडे
  6. पुणे से अदिति संचेती
  7. वाराणसी से शेफाली
  8. बरगढ़ से गोपाल अग्रवाल
  9. बच्चो कोओर्डिनेटर – इन्दौर से एक बहन, तथा चानी चावड़ा
  10. युवा समिति- पलक दायमा, श्रुति वानखेडे, सुरम्या पाठक, अन्य सुझाव बाकी
  11. सलाहकार:  योगेश शास्त्री

सम्मेलन की एक रूप रेखा जो हर वर्ष परिमार्जित होकर आगे बढती गयी है, मे हमने इस वर्ष कुछ संशोधन प्रस्तावित कर आपके समक्ष रख रहे है जो नीचे लाल रंग में है । इस वर्ष मे सम्मेलन की समिति के लिए नाम भी प्रस्तावित है। आप सबसे निवेदन है कि इसे पढ़ें एवं उपने सुझाव 20 जुन, 2016 तक jvsammelan@gmail.com पर भेजने की कृपा करे।

यदी आप सम्मलेन में किसी भी विधि से सहभागी होना चाहें, तो कृपया संपर्क करें |

इस वर्ष सम्मेलन में मुख्य चर्चा की वस्तु ‘शिक्षा का मानवीयकरण’ रहेगा | इसके अलाव नव, युवा साथियों से उनके अध्ययन एवं जीने सम्बन्धी वक्तव्य रखेंगे |

आपके स्वागत मे तत्पर,

सरदारशहर केन्द्र के सभी सदस्य
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रूप रेखा निम्नानुसार है |

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DOWNLOAD WORD FORMAT – इसमें मंच तथा गोष्ठियों में चर्चा हेतु विस्तृत सूचि, तथा अन्य उपयोगी forms एवं गोष्ठियों के लिए सुझाव embedded/attached हैं | आप इन सभी मुद्दों पर अपना सुझाव दे सकते हैं |

 

भूमिका एवं समिति गठन

२०११ के इंदौर सम्मेलन में सम्मलेन रूप रेखा के लिए एक बैठिक हुई | उसके बाद लगातार प्रति वर्ष सम्मेलन के पहले १३-१५ लोगों के साथ कांफ्रेंस कॉल तथा बैठक किया गया, जिसमे कार्यक्रम तथा वक्ताओं के नाम सर्व सम्मति से लिए गए | तथा अनौपचारिक चर्चाओं में जो बातें हुई, उन्हें यहाँ लिपिबद्ध किया जा रहा है:

वैचारिक कार्यक्रम

1.  समिति का गठन

a.  प्रति वर्ष सम्मेलन की रूप रेखा को तय करने हेतु 6 से 8 व्यक्ति जिम्मेदार होंगे, जिनका चयन देश भर के अध्ययन केन्द्रों एवं अन्य स्थानों से “प्रतिनिधि” विधि से किया जाये |  (तालिका संलग्न है)

b.  इसमें: १ प्रतिनिधि पूर्व वर्ष के सम्मेलन स्थल से, १ आगामी सम्मेलन स्थल से, २ ‘अध्ययन केन्द्रों’ से, २ ‘परिचय केन्द्रों’ से एवं २ ‘समूहों’ से किये जायें |

c.  इसमें २ ऐसे व्यक्ति हों जिन्होंने पूर्व सम्मेलन का प्रबंधन किये हैं, एवं २ नए/ युवा साथी रहेंगे | कम से कम एक नारी सदस्य रहें |

d.  इनमे से प्रति-वर्ष ३ व्यक्ति बदलेंगे, एवं किसी नए स्थान से ३ जुड़ेंगे | इसका निर्णय आगामी सम्मेलन स्थल के आयोजक स्वयं लेंगे | प्रयास किया जाये की कोई भी व्यक्ति 2 से अधिक वर्ष समिती में न रहें | अपेक्षा है की कुछ वर्षों में इस विधी से सभी केन्द्रों / समूहूँ से प्रतिनिधि सम्मेलन रूप रेखा में भागीदारी कर सकेंगे |

e.  युवा (15-25 वर्ष आयू) जिनके माता पिता इस विचार से बहुत साल से जुड़े है, तथा जिनका जीना इस विचार से बहुत प्रभावित है, उनका एक sub group (उप समूह) बनाया जाये। इनका 1-2 mentors (मार्गदर्शक मंडल) बनाये। इस यवा वर्ग की एक समिति बनाई जाऐ। इस समिति का मुख्य जिम्मेदारी होगा कि सम्मेलन के मुद्दे के संदर्भ में इस वर्ग के विचार सब के सामने रखा जाय। इसकी पद्धति भी वो लोग निर्धारित करे तथा मुख्य समिति के सुझाव लेकर उसको क्रियावित करे।

f.   छोटे बच्चों (5-14 वर्ष) के लिए 1-2 व्यक्ति की एक समिति बनाई जाये जो सम्मेलन के दौरान बच्चों की भागीदारी,  सफलताओं का प्रदर्शन तथा सम्मेलन को इस वर्ग के लिए और अधिक रोचक तथा उपयोगी बनाने के उपर कार्य करे। इसमे नारीयो की भूमिका अधिकतम रहे।

2.  मुख्य चर्चा वस्तु एवं कार्यक्रम निर्धारण:

a.  सम्मेलन का मुख्य मुद्दा (Main Theme) एवं उप-वस्तु (Sub Theme) सम्मेलन आयोजक स्थान स्वयं तय करें |  (विषय वस्तु की तालिका संलग्न है)

b.  सयांकाल की गोष्ठियों को तय करें – (विषय वस्तु की तालिका संलग्न है)

c.  2 माह पूर्व ही इस मुद्दे (Theme) के लिए DRAFT सम्मेलन रूप रेखा (Agenda) तय करें एवं सम्मेलन समिति के 8 सदस्यों को भेजें, उनके सुझाव एवं सहमति प्राप्त करें |

d.  कार्यक्रम रूप रेखा (Agenda) को तय करने के पश्च्यात 2 माह पहले ही प्रत्येक केंद्र/ समूह को कार्यक्रम रूप रेखा भेजा जाय एवं सहमती एवं सुझाव प्राप्त करें

e.  इसके पश्च्यात ४५ दिन पूर्व ही देश भर में सारे साथियों को इन्टरनेट के माध्यम से कार्यक्रम सूचना भेजा जाय एवं सुझाव लिए जायें

f.   सुचना प्रसारण के लिए sms, email एवं website का प्रयोग सर्वाधिक किया जाये

3.  वक्ताओं का चयन एवं पूर्व तय्यारी:

a.  समिति हर सम्मेलन के लिए 5-8 वरिष्ट लोगों को आमंत्रित करे जो दर्शन की समझ, पवित्रता,  तथा सम्मेलन के मुद्दे पर अपने काम के आधार पर मंच चर्चा को सार्थक बनाने मे योगदान कर सकते है। ये वरिष्ठ व्यक्तियों की जवाबदारी है कि मंच चर्चा मे वक्ताओं की प्रस्तुति मे परिमार्जन कर उसे और अधिक सटिक बनाये। हर वक्ता की जवाबदारी है कि वह इन वरिष्ठ लोगों से मिले/पत्र/इमेल इत्यादि के द्वारा कोनटेक्ट करे।  यह समिति

1.   सभी वक्ताओं को मार्गदर्शन देगी । प्रस्तुती को जाँच करेगी तथा उसमें सुधार के लिए मार्गदर्शक बनेगी।

2.   वरिष्ट समिति के सभी सदस्य मंच चर्चा मे बोलेंगे नहीं। कुछ विशेष परिस्थिति के अलावा। Inaugural and Closing sessions मे उनकी प्रस्तुति हो सकती है।

3.   वरिष्ठ समिति के सदस्य शाम को गोष्टी के बाद निर्धारित सथान पर सबके लिए उपलब्ध रहेंगे। वहां उनसे सम्मेलन के मुद्दे,  व्यक्तिगत प्रश्न तथा अन्य पर हर व्यक्ति चर्चा कर सकते है।

b.  सम्मेलन समिति अब मंच चर्चा के मुख्य सत्रों के अध्यक्ष तथा वक्तओं को तय करें

c.  संचालन तय करना

i.   एक “मुख्य मंच कार्यक्रम संचालक” का चयन करें,

ii.   सायंकाल के गोष्ठियों के लिए संचालक तय करें

iii.  प्रति दिन संचालन हेतु एक-एक नर-नारी का चयन

iv.  प्रति दिन के कार्यक्रम का एक छोटा २ पृष्ठ का सारांश करने जिम्मेदार व्यक्ति

d.  “मुख्य मंच कार्यक्रम संचालक” एवं उपसंचालक जिम्मेदारियां:

i.   प्रत्येक स्थान/ समूह को प्रस्तुति का format  भेजें एवं उनसे आग्रह करें की वे अपनी प्रस्तुतियां इसी के अनुसार करें

ii.  सत्रों के अध्यक्ष को अपने अपने वक्ताओं से परामर्श करने कहें

·    मुख्य संचालक अन्य संचालक तथा सत्रों के अध्यक्षों के साथ समन्वयन करें | उनके सत्र के  विषय वस्तु, वक्ता, एवं उपलब्ध समय 30 दिन पूर्व ही उन्हें सूचित करें ताकी वे सोचकर तय्यारी के साथ मंच से बोंले

e.  हर स्थान /केन्द्र की प्रस्तुति निश्चित फोर्मेट मे मंगाकर एक पुस्तिका के रूप में छापदी जाये। जिन केन्द्र को यह भेजने मे दिक्कत हो रही हो उनकी मदद की जाय।

f.   केन्द्र की प्रस्तुति की जगह सम्मेलन के मुद्दे के विभिन्न आयाम मे मंच चर्चा के साथ case study के रूप मे कुछ कार्यक्रम की बात रखी जाय। यहां सफल कार्यक्रम की सबके लिए सिखने योग्य बाते तथा प्रेरणा के रूप मे प्रस्तुत हो।

4.  क्रियान्वयन

i.   8 लोगों की समिति सम्मेलन के पूर्व ही कार्य-योजना में भागीदार हों, एवं २ दिन पूर्व ही सम्मेलन स्थल पहुंचे एवं व्यवस्था में सुझाव दें, भागीदारी करें  |

ii.  सम्मेलन समापन के पश्च्यात इस DOCUMENT को UPDATE  करें एवं आगामी सम्मलेन स्थल को भेज दें | इसमें आपके सुझाव, learnings, प्रतिभागी प्रतिसाद (feedback) को आवश्य दें (संलग्न है)

iii.  एक छोटी सा 6-8 page report  तैयार करें | इसे printed अथवा electronic distribution के लिए web-team से संपर्क करें – देश भर में distribution  हेतु | इसमें सम्मेलन के कुछ photo  रहें

भौतिक-रासायनिक कार्यक्रम

·        स्थानीय आयोजक समिति ठहरने, भोजन, यातायात, मंच इत्यादी व्यवस्था स्वयं करेंगे | यथा आवश्यक पूर्व अनुभवी सम्मलेन स्थलियों से इसके उपयुक्त भौतिक एवं बौद्धिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं |

 

समिति हेतु प्रतिनिधि चयन

·        उपरोक्त अनुसार 4 सम्मेलन हो चुके हैं: २०१२ अछोटी सम्मेलन, २०१३ बिजनोर सम्मेलन एवं २०१४ अमरकंटक, २०१५ बुलढाना सम्मेलन के रूप रेखाओं को तय किया गया

·        समिति के चयन हेतु प्रतिनिधि निम्न स्थानों से किये जायें – यह स्थान स्वयं अपने प्रतिनिधि का चयन करेंगे:

·        अध्ययन केंद्र (जहाँ पुस्तकों सहित अध्ययन शिविर किये जा रहे हैं):

§  अछोटी, बिजनोर, कानपुर, इंदौर, अमरकंटक

·        परिचय केंद्र (जहाँ जीवन विद्या शिविर हेतु निश्चित स्थान उपलब्ध है):

§  बुलढाना, अमरोहा, हापुड़,

·        समूह (जहाँ अध्ययनशील/ परिचित साथी कुछ मात्रा में उपस्थित हैं):

§  पुणे, हैदराबाद, यवतमाल, गुजरात, बंगलोर, वाराणसी, दिल्ली, बरगढ़, पंजाब, सरदारशहर, बेमेतरा

 

स्थान २०१२ अचोटी 2013

बिजनोर

2014

अमरकंटक

2015

बुलढाना

2016

स.शहर

     
अछोटी सुवर्णा योगेश
बिजनोर रणसिंह रणसिंह
कानपुर श्याम गणेश ब. गणेश ब.
इंदौर अजय अजय अजय
अमरकंटक श्रीराम श्रीराम साधन सुशिल
बेमेतरा गणेश व. गणेश व.
वि.(रायपुर) अनीता
बुलढाना आशुतोष आशुतोष
अमरोहा अरुण अरुण
सरदारशहर हिमांशु
पुणे महेश अपूर्वा
हैदराबाद
यवतमाल  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

गुजरात
बंगलोर
दिल्ली आतिशी अंकित

 

अंकित  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बरगढ़ गोपाल
हिंगना सोम सोम
पंजाब
देहरादून अशोक अशोक अनुराग
वाराणसी गोनू गोनू

 

२०१६ सरदारशहर सम्मलेन में उपरोक्त के अलावा निम्न समिति members प्रस्तावित

·        युवा mentors- गोनू, अपूर्वा

·        बच्चो कोओर्डिनेटर – इन्दौर से एक बहन,  चानी चावड़ा

·        युवा समिति- पलक दायमा, श्रुति वानखेडे, सुर्म्रया पाठक, अन्य सुझाव बाकी

·        अन्य: योगेश शास्त्री

रूप रेखा – प्रारूप

* यह रूप रेखा पिछले ४ वर्षों से हुए अनेक सम्मेलन गोष्ठियों से लिया गया है | इसमें सारे केन्द्रों/ समूहों से व्यक्तियों के सुझाव समाया है | इसे प्रति वर्ष समृद्ध बनाया जा सकता है |

सम्मलेन उद्देश्य:

1.   प्रचार एवं सूचना प्रसारण:

·       सामाजिक मुद्दों पर चर्चा, समस्या-समाधान

·       ५ आयाम में देश भर में केंद्र, समूहों के गतिविधियों की जानकारी

2.   मैत्री मिलन, संपर्क के लिए अवसर :

·        साथियों से संपर्क, जुडना, प्रेरित होने हेतु

·        परस्पर उत्साह वर्धन

 

सम्मेलन कार्यक्रम को निर्धारित करते समय मध्यस्थ दर्शन, जीवन विद्या योजना से सम्बंधित ३ प्रकार के श्रोताओं को ध्यान में रखने की आवश्यकता है:

1.   “समाज”:

o   को “विकल्प का सन्देश” – अखंड समाज, सार्वभौम व्यवस्था के ओर इशारा

2.   “नवागंतुक साथियों के लिए”:

o   योग्यता बढाने का अवसर, अन्य साथियों को मिलने – कार्यक्रम जानने का अवसर, प्रेरित होना

3.   “अध्ययनशील साथियों के लिए”:

o   योग्यता बढाने का अवसर, जिम्मेदारी वहन करने का अवसर

 

उपरोक्त उद्देश्यों के पूर्ति हेतु सम्मेलन समय सारणी (Agenda) में निम्नलिखित ४ सत्र हैं:

1.   “मंच चर्चा:”

a.  विद्या ‘वस्तु’ से सम्बंधित मंच प्रस्तुति एवं चर्चा: मुख्य रूप में सामाजिक मुद्दों पर समस्या – समाधान प्रस्तुत करना

b.  साथ में अध्ययन एवं जीने की ओर इशारा करना

c.  अध्ययनशील नव/युवा साथियों का वक्तव्य

2.   “योजना में गतिविधयां”:

o   जीवन विद्या योजना: केन्द्रों एवं समूहों के द्वारा पिछले एक वर्ष के गतिविधियों,  5 आयामों में प्रगति की प्रस्तुति

3.   “गोष्ठियां”:  (सायंकाल)

o   विभिन्न विषय-वस्तु पर अनौपचारिक गोष्ठियां – (क) अध्ययन-जीने,  (ख) योजना एवं (ग)सामाजिक विषयों सम्बंधित

4.   मैत्री मिलन के लिया मुक्त समय

 

कार्यक्रम विषय-वस्तु विस्तार: मंच प्रस्तुति

{ सम्मेलन मूल चर्चा वस्तु का चुनाव (Main Theme) } : (सभी के लिए मानव लक्ष सुनिश्चित करना)

सामाजिक मुद्दे, लोकव्यापीकरण सम्बंधित –

दो में से कोई एक को चुन सकते हैं:

1. स्वराज्य व्यवस्था: – सार्वभौम व्यवस्था के ओर

§  ५ आयाम: (कोई एक या अधिक)

·       शिक्षा का मानवीयकरण,

·       स्वास्थ्य सुलभता,

·       उत्पादन एवं विनिमय सुलभता,

·       न्याय सुलभता

§  १० सोपानीय विश्व व्यवस्था

[  अथवा  ]

2.  समाज में प्रचलित समस्या एवं समाधान– अखंड समाज के ओर (कोई एक या अधिक)

§  जैसे भ्रष्टाचार, युद्ध, गरीबी, संघर्ष, पर्यावरण .. इत्यादी

 

* प्रत्येक चर्चा के ४ मुख्य भाग रहे: १) इतिहास/समस्या २) मुख्य प्रतिपादन ३) समाधान वस्तु ४) पूर्ती हेतु योजना

{ सम्मेलन उप चर्चा वस्तु का चुनाव (Sub Theme) }: व्यक्तिगत जाग्रति (स्वयं के लिए मानव लक्ष्य सुनिश्चित करना)

 

मुख्य चर्चा की वस्तु के अलावा कोई विशेष ध्यानाकर्षण, चर्चा हेतु वस्तु का चयन, तथा इसपर कम से कम १ सत्र रहना:

 

1.  अभ्यास एवं अध्ययन की अनिवार्यता, महत्त्व

2.  उत्पादन एवं विनिमय आवश्यकता एवं प्रयास

3.  परिवार में संबंध निर्वाह, मित्र संबंध, व्यवस्था संबंध – आपस में मैत्री

4.  बच्चों/ युवा साथियों का वक्तव्य

 

सुझावों का संकलन एवं लेख जिम्मेदारी: श्रीराम नरसिम्हन, २४ नोवेम्बर २०१२

 

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